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" ओबीसी रेलवे कर्मचारी जन जागरूकता अभियान " जय ओबीसी!जय फूले!!जय मंडल!!! साथियों थोड़ा गंभीरता से सोचें और विचार करें कि हमारे पूर्वजों को रेलवे में दो-दो यूनीनों के रहते हुए :-(1) "ओबीसी संगठन" क्यों बनाना पड़ा..?(2) इसके पीछे उनका क्या सोच रहा होगा..?(3) इसके पीछे उनके क्या सपने रहें होंगें..?(4) इसकी जरूरत क्या थी..?(5) हमें ओबीसी संगठन से क्यों जुड़ना चाहिये..? इन सब सबालों का जबाब हम सब को जानना चाहिए।इन सब का मेरे हिसाब से जबाब यही होगा कि उन सब का एक ही लक्ष्य एवं सपना था कि:- " ओ.बी.सी. कर्मचारी व उनके परिवार का शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी विकास एवं तनाव मुक्त कार्य परिवेश का निर्माण करना।"*अब सबाल उठता है ऐसा क्यों..?तो हमारा मानना है कि हमारे पूर्वजों यानि हमारे से पहले जो ओबीसी कर्मचारी साथी कार्य कर सेवानिवृत हो चुके हैं या वर्तमान में कार्यरत हैं ने ट्रेड यूनियन में ओ. बी. सी. कर्मचारी साथियों की जा रही लगातार उपेक्षा से परेशान होकर अपने लोगों के अधिकार की रक्षा एवं मान-सम्मान के लिए एक संगठन बनाना चाहते होगें जहाँ लोग अपनी परेशानियों को विना किसी दबाब में रहे खुल कर बता सके,पर इसे आज के युवा पीढ़ी उनका राजनीतिक महत्वाकांक्षा कह सकते हैं,पर जब आप उन लोगों के संघर्ष की कहानी सुनेंगे तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी।हम सब की तरह ही उनका भी परिवार था, बच्चे थे,काम था पर उन्होंने कभी उनका परवाह न कर हमारे बारे में सोंचा,अपने समाज के बारे में सोंचा,आने वाली पीढ़ी के बारें में सोचा, नए सपने देखे, ऐसे लोगों के सोंच,सपने,मेहनत एवं संघर्ष की जितनी तारीफ की जाय उनके लिये कम् ही होगा।जरा सोचिए यदि उनलोगों ने ऐसा नहीं किया होता, आपको और हमको एक संगठन बनाकर नहीं दिया होता तो हमारी स्थिति क्या होती? क्या हम अपने लोगों की सच्ची पहचान कर पाते?उसकी मदद कर पाते? या अपनी हितों की बात प्रशासन तक पहुँचा पाते? शायद अधिकांश लोगों का जबाब होगा-नहीं। हम सबको पता है कि हमारे अपने ओबीसी समाज के लोग आज भी शैक्षणिक ,बौद्धिक, एवं सांस्कृतिक रूप से काफी पिछे है, और उनका इस्तेमाल ट्रेड यूनियन में कैसे किया जाता है और उनके मेहनत का पैसा सोसाइटी के नाम पर कैसे उनका पैसा निकाल लिया जाता था और उन्हें खबर तक नहीं होती थी! शायद आप इन बातों पर आज विश्वास न करें पर यह हकीकत है जब आप अपने समाज के लिए समय निकालेंगे तो आपको स्थिति इससे भी भयावह मिलेगी-पर आपको तो लग रहा है कि-"सब ठीक है"! क्योंकि हमलोग ऐसे है कि जबतक कोई चीज खुद पे नहीं पड़ती हम उसके अस्तित्व को ही स्वीकार ही नहीं करते और न उसे मानते हैं।अत: साथियों किसी भी गलत फहमी न रहें, खुद अपनी बुद्धि एवं विवेक का इस्तेमाल करते हुए कसौटियों पर लोगों को परखे की कौन संगठन अपना है और कौन पराया।मेरा विश्वास है कि अंततः आपके विश्वाश पर ओ. बी. सी संगठन ही खरी उतरेगी।अतः साथियों अपने ओबीसी समाज के उत्थान के लिए ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज यूथ फेडरेशन नई दिल्ली से जुड़े और इसे मजबूत बनाये क्योंकि संगठन में ही शक्ति है और सबके हित में ही अपना हित है।ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज यूथ फेडरेशन एक गैर-राजनीतिक,एवं जातिवादी सोच,व्यक्ति विशेष,धर्म एवं क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर सामूहिक भागीदारी देने,सबका सम्मान,सबका सहयोग,एवं सभी जातियों को फेडरेशन एवं एसोसिएशन में भागीदार बना कर व साथ लेकर ही एसोसिएशन को मजबूत किया जा सकता है,ऐसे सकारात्मक व नई सोच एवं विचारों के साथ आगे बड़ रही है।

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ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज यूथ फेडेरेशन नई दिल्ली से हमें क्यों जुड़ना चाहिए..?

ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज यूथ फेडरेशन नई दिल्ली:--आज डब्ल्यू.सी.आर.ओ.बी.सी. रेलवे एम्पलॉइज वेलफेयर एसोसियेशन कोटा(राजस्थान) के मंडल कार्यालय में ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम यादव जी के नेतृत्व में ओबीसी एसोसिएशन मंडल कार्यालय कोटा में निवर्तमान वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी श्री सुबोध विश्वकर्मा जी का स्थानांतरण रेलवे बोर्ड (रेल मंत्रालय) नई दिल्ली में निदेशक (राजपत्रित) के पद पर हो जाने पर एवं श्री मनोहर लाल मीना जी का सहायक कार्मिक अधिकारी (आरपी) कोटा का स्थानांतरण कोटा से प्रधानाचार्य के पद पर सीनियर सेकेंडरी स्कूल गंगापुर सिटी (डब्ल्यूसीआर) होने परउनका विदाई समारोह तथा श्री सुप्रकाश जी का नए वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी कोटा के पद पर पदस्थापना होने पर,साथ ही साथ श्री विजय सिंह जी जिनका हाल ही में कोटा मंडल में ही सहायक कार्मिक अधिकारी से मंडल कार्मिक अधिकारी के पद पर पदोन्नत होने पर उनका स्वागत सम्मान समारोह आयोजित किया गया ।इस अवसर पर ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम यादव जी ने कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में श्री सुबोध विश्वकर्मा जी का प्रशंसा करते हुए बताया कि उन्होंने अपने पद पर रहते हुए हमेशा ओबीसी एसोसिएशन को सहयोग किया एवं ओबीसी कर्मचारियों के हित में अनेकों कार्य किये साथ ही साथ इनका हमेशा ओबीसी एसोसिएशन को सहयोग मिला ,इन्होंने ओबीसी के किसी भी मामले को हल करने में हमेशा आगे रहे,उन्होंने हमेशा ओबीसी कर्मचारियो के हित में कार्य किया है, और अब आगे भी रेलवे बोर्ड स्तर पर भी ओबीसी एसोसिएशन को सहयोग देते रहेंगे इन्हीं आशा के साथ उनको आज हम सभी ओबीसी एसोसिएशन कोटा मंडल के द्वारा उन्हें विदाई देते है।इस अवसर नए पदस्थापित वरि.मंडल कार्मिक अधिकारी महोदय ने भी ओबीसी एसोसिएशन को अपना पूरा-पूरा सहयोग करने का आश्वाशन भी दिया है।इस अवसर पर कोटा मंडल के अधीन कार्यरत सभी ब्रांचों के पदाधिकारी एवं ओबीसी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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डब्लू.सी.आर.ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज एसोसिएशन कोटा मंडल के द्वारा वरि. मंडल कार्मिक अधिकारी का विदाई सह स्वागत सम्मान समारोह का आयोजन किया।

नेशनल न्यूज4ओबीसी प्रेस विज्ञप्ति:--आज डब्ल्यू.सी.आर.ओ.बी.सी. रेलवे एम्पलॉइज वेलफेयर एसोसियेशन कोटा(राजस्थान) के मंडल कार्यालय में ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम यादव जी के नेतृत्व में ओबीसी के मसीहा, समानता और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक, पिछड़ों की प्रतिनिधित्व की लड़ाई के प्रयोद्धा,बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व संसद सदस्य,मण्डल आयोग के अध्यक्ष, स्वर्गीय श्री विंदेश्वरी प्रसाद मंडल उर्फ़ वी पी मंडल की 103वीं जन्म जयंती पर मंडल साहब के चित्र पर फूल माला अर्पण कर, ओबीसी रेल कर्मचारियों द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ मनाई गई।इस अवसर पर मंडल साहब के जीवनी पर एसोसिएशन के सदस्यों ने अपने अपने विचार रखे एवं उनके द्वारा पिछड़े वर्ग के हित में किये गए कार्य को याद किया। इस अवसर पर कोटा मंडल के अध्यक्ष श्री रामगोपाल यादव जी ,जो.अति. महासचिव श्री नरेश पटेल जी ,लोको शाखा सचिव विद्यानंद सिंह जी,अध्यक्ष श्री लालचंद मंडोरिया जी ,राकेश कुमार जी,ओमप्रकाश सिंह जी,गुलाम अहमद जी,जीतू पोटर ,उपेन्द्र कुमार ,सिंकन्दर,संजीव पटेल,महेंद्र सिंह, वर्कशॉप शाखा के अध्यक्ष श्री रामजी यादव जी ,पूर्व सचिव श्री उमेश यादव जी,नीरज जी,हनुमान सेठी जी इत्यादि बड़ी संख्या में ओबीसी रेल कर्मचारियों उपस्थित थे।

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डब्लू.सी .आर.ओ.बी.सी. रेलवे एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन कोटा मंडल ने मंडल जयंती उत्सव के रूप में  मनाया।

About AIOBCREF

All India Other Backward Class Railway Employees' Federation For effective implementation of various safeguards provided in the Constitution for the Other Backward Class and various other protective legislations, the Govt. of India through Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions, Department of Personnel & Training and Ministry of Railways (Railway Board) have already been framed the reservation policy and issued several Office Memorandums / Office Orders / Circulars / Letters / Guidelines / Clarifications, but it has been experienced that these orders are not being implemented in actual spirit of law. All India Other Backward Class Railway Employees Association is continuously struggling to ensure strict implementation of above rules & regulations in favour of Other Backward Class Railway Employees. The reservation policy for OBC was challenged in the CATs, High Courts & Supreme Court also but protected due to interference of All India Scheduled Castes ...

प्रेस विज्ञप्ति:- सामाजिक न्याय के प्रणेता स्व बी पी मंडल का पुण्यतिथि पर स्मृति विशेष अप्रैल माह का सामाजिक न्याय के संदर्भ में बड़ा ऐतिहासिक महत्व है। मैं 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फूले के जन्मदिवस को महत्व्पूर्ण तो मानता ही हूँ, 14 अप्रैल को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिवस सामाजिक न्याय के सन्दर्भ में विशेष महत्व है। परन्तु 13 अप्रैल को सामाजिक न्याय के प्रणेता स्व बी पी मंडल की पुण्यतिथि भी है जिसे हम भुलाना चाहे भी तो भी भुला नहीं सकते क्योंकि इसी दिन हम सब के पिछड़ो, बांचितो एवं असहाय लाखों लोगों के प्रेरणा स्रोत हम सब के चेहते महानायक स्व. बी पी मंडल साहब इस दुनिया से अलविदा हो गए थे।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्व बी पी मंडल का जन्म 25 अगस्त,1918 को बनारस में हुआ था। वे बिहार के आधुनिक इतिहास में पिछड़े वर्ग के और यादव समाज के संभवतः प्रथम क्रन्तिकारी व्यकित्व, मुरहो एस्टेट के ज़मींदार होते हुए भी स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रीय और कांग्रेस पार्टी में बिहार से स्थापना सदस्यों में एक, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, बिपिन चन्द्र पाल, सच्चिदानंद सिन्हा जैसे प्रमुख नेताओं के साथी, 1907 से 1918 तक बिहार प्रांतीय कांग्रेस कमिटी और ए आई सी सी के बिहार से निर्वाचित सदस्य, 1911 में गोप जातीय महासभा (बाद में यादव महासभा) की संस्थापक स्व रासबिहारी लाल मंडल के सबसे छोटे पुत्र थे। रासबिहारी बाबू यादवों के लिए जनेऊ धारण आन्दोलन और 1917 में मोंटेग-चेल्म्फोर्ड समिति के समक्ष यादवों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए, वायसरॉय चेल्म्फोर्ड को परंपरागत 'सलामी'देने की जगह उनसे हाथ मिलते हुए जब यादवों के लिए नए राजनैतिक सुधारों में उचित स्थान और सेना में यादवों के लिए रेजिमेंट की मांग की थी।1911 में सम्राट जार्ज पंचम के हिंदुस्तान में ताजपोशी के दरबार में प्रतिष्टित जगह से शामिल हो कर वह उन अँगरेज़ अफसरों को भी दंग कर दिए जिनके विरुद्ध वे वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।1917 में कांग्रेस के कलकत्ता विशेष अधिवेशन में वे सबसे पहले पूर्ण स्वराज्य की मांग की थी। कलकत्ता से छपने वाली हिंदुस्तान का तत्कालीन प्रतिष्टित अंग्रेजी दैनिक अमृता बाज़ार पत्रिका ने रासबिहारी लाल मंडल की अदम्य साहस और अभूतपूर्व निर्भीकता की प्रशंसा की और अनेक लेख और सम्पादकीय लिखी, और दरभंगा महराज ने उन्हें 'मिथिला का शेर' कह कर संबोधित किया था। 27 अप्रैल, 1908 के सम्पादकीय में अमृता बाज़ार पत्रिका ने कलकत्ता उच्च न्यायलय के उस आदेश पर विस्तृत टिप्पणी की थी जिसमें भागलपुर के जिला पदाधिकारी लायल के रासबिहारी बाबू के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित व्यवहार को देखते हुए उनके विरुद्ध सभी मामले को दरभंगा हस्तांतरित कर दिया था। 1918 में बनारस में ५१ वर्ष की आयु में जब रासबिहारी बाबू का निधन हुआ तो वहीँ बी पी मंडल का जन्म हुआ। रासबिहारी लाल मंडल के बड़े पुत्र भुब्नेश्वरी प्रसाद मंडल थे जो १९२४ में बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् के सदस्य थे, तथा १९४८ में अपने मृत्यु तक भागलपुर लोकल बोर्ड (जिला परिषद्) के अध्यक्ष थे। दूसरे पुत्र कमलेश्वरी प्रसाद मंडल आज़ादी की लड़ाई में जय प्रकाश बाबू वगैरह के साथ गिरफ्तार हुए थे और हजारीबाग सेन्ट्रल जेल में थे और १९३७ में बिहार विधान परिषद् के सदस्य चुने गए थे। कहते हैं की एक समय कलकत्ता में रासबिहारी बाबू से राजनैतिक रूप से जुड़े प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के कारण मधेपुरा विधान सभा से 1952 के प्रथम चुनाव में बी पी मंडल काँग्रेस के प्रत्याशी बने और 1952 में बहुत काम उम्र में मधेपुरा विधान सभा से सदस्य चुने गए। 1962 में पुनः चुने गए और 1967 में मधेपुरा से लोक सभा सदस्य चुने गए1965 में मधेपुरा क्षेत्र के पामा गाँव में हरिजनों पर सवर्णों एवं पुलिस द्वारा अत्याचार पर वे विधानसभा में गरजते हुए कांग्रेस को छोड़ सोशिअलिस्ट पार्टी में आ चुके थे। बड़े नाटकीय राजनैतिक उतार-चढ़ाव के बाद १ फ़रवरी,१९६८ में बिहार के पहले यादव मुख्यमंत्री बने। इसके लिए उन्होंने सतीश बाबू को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनवाए। अतः सतीश बाबू को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाने वाले स्व बी पी मंडल ही थे। बी पी मंडल ६ महीने तक सांसद थे, और बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी थे। वे राम मनोहर लोहिया जी एवं श्रीमती इंदिरा गाँधी की इच्छा के विरुद्ध बिहार में पहले पिछड़े समाजके मुख्यमंत्री बनने जा रहे थे। परन्तु विधानसभा में बहुमत के बावजूद तत्कालीन राज्यपाल अयंगर साहेब रांची जाकर बैठ गए और मंडल जी को शपथ दिलाने से इस आधार पर इंकार कर दिया कि बी पी मंडल बिहार में बिना किसी सदन के सदस्य बने ६ महीने तक मंत्री रह चुके है। परन्तु बी पी मंडल ने राज्यपाल को चुनौती दी और इस परिस्थिति से निकलने के लिए तय किया गया की सतीश बाबू एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बन कर इस्तीफा देंगे जिससे बी पी मंडल के मुख्यमंत्री बनने में राज्यपाल द्वारा खड़ा किया गया अरचन दूर किया जा सके। अब इंदिरा गाँधी और लोहिया जी सभी मंडल जी के व्यक्तित्व से डरते थे और नहीं चाहते थे की सतीश बाबू इस्तीफा दें। परन्तु सतीश बाबू ने बी पी मंडल का ही साथ दिया। आगे की कहानी और दिलचस्प है। उन्ही दिनों बरौनी रिफायनरी में तेल का रिसाव गंगा में हो गया और उसमें आग लग गयी। बिहार विधान सभा में पंडित बिनोदानंद झा ने कहा कि शुद्र मुख्यमंत्री बना है तो गंगा में आग ही लगेगी! साक्ष्य तो इस प्रकरण का बिहार विधानसभा के रिकार्ड में है - बात पहले बिहार विधान सभा की है, जब स्व बी पी मंडल ने आपत्ति की थी कि यादवों के लिए विधान सभा में 'ग्वाला' शब्द का प्रयोग किया गया।सभापति सहित कई सदस्यों ने कहा की यह असंसदीय कैसे हो सकता है क्योंकि यह शब्दकोष (Dictionary) में लिखा हुआ है। स्व मंडल ने कुछ गालियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये भी तो शब्दकोष (Dictionary) में है, फिर इन्हें असंसदीय क्यों माना जाता है। सभापति ने स्व मंडल की बात मानते हुए, यादवों के लिए 'ग्वाला' शब्द के प्रयोग को असंसदीय मान लिया। लेकिन उन दिनों किन जातिवादी हालातों में बाते हो रही थी, इसका अंदाज़ मुश्किल है। 1968 में उपचुनाव जीत कर पुनः लोक सभा सदस्य बने।1972 में मधेपुरा विधान सभा से सदस्य चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर मधेपुरा लोक सभा से सदस्य बने। 1977 में जनता पार्टी के बिहार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के नाते लालू प्रसाद को कर्पूरी ठाकुर और सत्येन्द्र नारायण सिंह के विरोध के बावजूद छपरा से लोक सभा टिकट मंडल जी ने ही दिया। 1978 में कर्णाटक के चिकमंगलूर से श्रीमती इंदिरा गाँधी के लोक सभा में आने पर जब उनकी सदस्यता रद्द की जा रही थी, तो मंडल जी ने इसका पुरजोर विरोध किया। 1.1.1979 को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बी पी मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, जिस जबाबदेही को मंडल साहब जी ने बखूबी निभाया।इनके दिए गए रिपोर्ट को लाख कोशिश के बावजूद सर्वोच्च न्यायलय में ख़ारिज नहीं किया जा सका।खैर, उसके बाद की घटनाएं तो तात्कालिक इतिहास में दर्ज है और जो हममें से बहुतों को अच्छी तरह याद है.स्व बी पी मंडल जी की मृत्यु 13 अप्रैल,1982 को 63 वर्ष की आयु में हो गयी। एक बार पुनः स्व. बी.पी. मंडल जी के पुण्य तिथि पर उनकी स्मृति को याद करते हुए शत शत नमन ।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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प्रेस विज्ञप्ति:-- डब्ल्यू.सी.आर .ओ.बी.सी. रेलवे एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन कोटा दिनांक 05.03.2021ओबीसी रेल कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर ओबीसी एसोसिएशन कोटा के द्वारा महाप्रबंधक महोदय को ज्ञापन दिया गया।💐💐💐जय ओबीसी साथियों💐💐💐आज शाम औधोगिक एवं शैक्षणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध शहर कोटा में प.म.रे. जबलपुर जोन के महाप्रबंधक महोदय श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह जी के आगमन पर ऑल इंडिया ओबीसी रेलवे एम्प्लॉइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पुरूषोत्तम यादव जी के नेतृत्व में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए अपने मंडल कार्यकारिणी,लोको शाखा के कार्यकारिणी, एवं मॉल डिब्बा कारखाना शाखा के कार्यकारिणी सदस्य के साथ मंडल रेल प्रबंधक महोदय सर के उपस्थिति में कोटा स्टेशन पर मुलाकात कर महाप्रबंधक महोदय को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया एवं ओबीसी कर्मचारी से सम्बंधित समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा गया ।इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय ने बड़े ही साफ शब्दों में महाप्रबंधक महोदय को बताया कि ओबीसी एसोसिएशन के साथ जो भेद-भाव या प्रशासन के द्वारा ढीला रवैया अपनाया जाता है ये सही नहीं है।अतः आप से अनुरोध है कि ओबीसी एसोसिएशन से जूड़े मुद्दों को गंभीरता से लेकर उनका निवारण करवाने का निर्देश करे।इस दौरान महाप्रबंधक महोदय ने सारी समस्याओं को गंभीरता से सुना एवं शीघ्र ही समाधान करने का आश्वासन दिया।ओबीसी कर्मचारी के हित एवं कर्मचारियों के तमाम मुद्दों पर लगातार श्री पुरुषोत्तम यादव जी के द्वारा प्रयास किया जा रहा है ।इस अवसर पर कोटा मंडल के अध्यक्ष श्री रामगोपाल यादव जी,जोनल अति०महासचिव श्री नरेशचंद पटेल जी,लोको शाखा के शाखा सचिव विद्यानंद सिंह जी,लोको शाखा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राकेश कुमार उमराव जी,सहायक सचिव जीतू कुमार पोटर जी,उपेन्द्र कुमारजी,वर्कशॉप शाखा के अध्यक्ष श्री रामजी यादव जी,कार्यकारी अध्यक्ष श्री हनुमान सेठी जी, नीरज जी,रौशन कुमार,सिंकन्दर कुमार,यादव,संदीप कुमार शशिजी,ऑफिस सहायक संतराम कुमार ,इत्यादि अनेकों ओबीसी सक्रीय ओबीसी साथी उपस्थित रहे।इसके लिए डब्लू .सी आर .ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन कोटा उनका तहे दिल से उनके कार्य का प्रशंसा करता है।आपका सहयोग+ हमारा प्रयास=सफलता विद्यानंद सिंहजोनल प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारीडब्ल्यूसीआर ओबीसी एसोसिएशन कोटा#NationalNews4OBC

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*Congratulations* !!🌹🌹🌹🌹🌹🌹Congratulations to *Shri Purushottam Yadav Ji ,President* and *Shri Virendra Yadav Ji, General Secretary* and the entire team of *All India OBC Railway Employees Federation, IR* for being elected as members of the *Central Executive Committee* for the next two years.The Central Committee was *unanimously and unopposed* elected by all members of the OBC Associations of various railways.*It was indeed an incredible performance of the current team of the federation to conduct the AGM and subsequent federation elections smoothly and unquestioningly*.The main challenge now is to formulate the , *organizational setup* of the OBC Association as a *PREM component* in all Zones of the Indian Railways and should get *all the facilities that the unions have.*One of them is that *PREM offices should be located in the same premise as the unions* and have computer with internet facilities , fax, railway and landline phone connections etc. at all divisional and zonal headquarters.Some Zonal and Divisional headquarters lack all these facilities.*Issues should be raised on a priority basis at the board level.**Unfortunately, this was not included in our agenda at the AGM*.Some *common minimum schedules of employee complaints* should also be highlighted in the Federation Forum and the Zones should be *mandated* to work on this subject at their Zonal headquarters.Zonal office bearers should hold at least one meeting in a year with the *President and the General Secretary of the Federation* at the zonal headquarters to review the progress of organizational activities.*In order to promote the activities of the OBC organization in the Indian Railways, a team of young, enthusiastic and well-versed members of organizational activities should be formed at Federation level*There are many other things, which we will discuss at the appropriate time.*Best wishes to all of you.*👍👍🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻*Vidyanand Singh*zonal Spokperson cum Media prabhari WCROBCREWA, KOTA (WCR). Mob. *8700277240*